Covid19 : कोरोना की तीसरी खुराक (बूस्टर डोज) पर केंद्र में मंथन शुरू

National : देश में कोरोनावायरस के मामलों में फिर से तेजी देखते हुए केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन की रफ्तार को ओर तेज कर दिया है। इस बीच कोविड-19 महामारी के खिलाफ दो डोज के बाद अब जानकार तीसरी या बूस्टर डोज की बात पर जोर दे रहे हैं। हालांकि भारत में अभी शुरुआती टीकाकरण के मामलों में थोड़ी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टीकाकरण के लिए बनी राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह एनटीएजीआई ने इस पहलू पर विचार करना शुरू कर दिया है कि देश में कुछ खास समूह के लोगों को तीसरी खुराक लगाई जाए या नहीं। विश्वस्त सूत्र ने आगे बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और वैक्सीनेशन प्रबंधन समिति फिलहाल तीसरी डोज देने पर विचार विमर्श कर रही है।

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तीसरी खुराक या बूस्टर डोज :

टीकाकरण पर कोई भी निर्णय वैज्ञानिक पहलुओं के आधार पर लिया जाएगा। फिलहाल तीसरी खुराक या बूस्टर डोज के कारगर होने संबंधित जो आंकड़े विदेशों और स्थानीय स्तर उपलब्ध है उनका भारत में अध्ययन किया जा रहा है। एनटीएजीआई इन मामलों पर विचार कर रहा है। टीके की तीसरी खुराक लगाने से फायदा होगा या नहीं। देश में अब तक एक बड़ी आबादी को एक भी वैक्सीनेशन डोज नहीं लग पाई है। इस लिहाज से देश में कुछ खास क्षेत्रों के लोगों को तीसरी खुराक देने के संभावित लाभ का आकलन करना जरूरी होगा। इस संबंध में कोई भी निर्णय तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित होगा।

अभी भारत को नहीं है जरूरत :

हाल ही में मीडिया से चर्चा में एम्स के डायरेक्टर डाक्टर रणदीप गुलेरिया ने साफ कहा है कि फिलहाल इस बारे में भारत के पास जरूरी आंकड़े नहीं हैं, जिसके आधार पर ये कहा जाए कि ये फायदे का सौदा है या नहीं। इस बारे में और अधिक शोध करने की जरूरत है। इसके अलावा इस बारे में अधिक जानकारी अगले वर्ष तक ही समाने आ सकेगी। उनके मुताबिक इस संबंध में हो रही रिसर्च के रिजल्ट को आने में भी कुछ माह का समय और लगेगा। इससे पता चल सकेगा कि किन लोगों को बूस्टर शॉट की जरूरत होगी। कुछ शोध में ये देखा गया है कि वैक्सीन की तीसरी खुराक के बाद शरीर में अधिक मात्रा में एंटीबाडीज का निर्माण हुआ। हालांकि डाक्टर गुलेरिया नहीं मानते हैं कि भारत में इस तरह की तीसरी खुराक की फिलहाल कोई जरूरत है। आंकड़ों से ही तीसरी खुराक का प्रोटेक्शन लेवल और एंटीबाडीज लेवल की जानकारी मिल सकेगी। आपको बता दें कि कोरोना वैक्सीन की तीसरी खुराक को भी बूस्टर डोज का ही नाम दिया जा रहा है। ये बूस्टर डोज कोरोना वायरस से अधिक समय तक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बताई जा रही है।

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तीसरी डोज पर डब्ल्यूएचओ जता चुका है नाराजगी :

इन दिनों अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में डेल्टा वायरस के मामले काफी बढ़े हैं। वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने का फैसला भी इसे देखते हुए ही लिया गया है। हालांकि, वैक्सीन की तीसरी या बूस्टर खुराक को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी नाराजगी जता चुका है। संगठन का कहना है कि अब तक कई देशों में सभी नागरिकों को पहली खुराक भी नहीं लग पाई है। वहीं कुछ बड़े और अमीर देश अपनी अधिक से अधिक आबादी को इसकी खुराक देने के बाद अब वैक्सीन की बूस्टर डोज की भी शुरुआत कर रहे हैं। ऐसे में महामारी का खतरा लगातार बना रहेगा। डब्ल्यूएचओ बार-बार ये कहता रहा है कि अमीर देश अपने यहां पर मौजूद वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक को गरीब देशों के लिए दान दें, जिससे उन्हें भी इस महामारी से सुरक्षित किया जा सके। संगठन का मकसद है कि सितंबर 2021 तक दुनिया की कम से कम दस फीसदी आबादी को वैक्सीन की खुराक के जरिए सुरक्षा प्रदान कर दी जाए।

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